desHeader
आर्थिक एवं सांख्यिकी संचालनालय

1 नवंबर, 2000 को मध्य प्रदेश राज्य से विभाजित होने के पश्चात् छत्तीसगढ राज्य में आर्थिक एवं सांख्यिकी संचालनालय की स्थापना हुई।

विभागीय संरचना :- राज्य की सामाजिक आर्थिक गतिविधियों मे समन्वय, क्षे्ञीय सर्वेक्षण तथा विविध विषयों पर आंकडा संग्रहण, संकलन एवं विश्लेषण, सारणीयन एवं संकलित आंकडों का प्रस्तुकतीकरण इत्यादि कार्यों को सम्पादित करने हेतु राज्य, जिला एवं जनपद मुख्यालय पर विभिन्न संवर्गों में अधिकारी एवं कर्मचारी पदस्थ हैं ।

अधीनस्थ कार्यालय :- आर्थिक एवं सांख्यिकी संचालनालय के अधीनस्थ जिला स्तर पर प्रदेश के सभी जिलों में जिला योजना एवं सांख्यिकी स्थापित हैं । संचालनालय में प्रशासनिक एवं तकनीकी कार्यों के निष्पादन हेतु 8 संभाग हैं ।

संचालनालय के दायित्व:-

  • शासन की जन कल्याणकारी योजनाओं के सविन्यास, प्रशासन एवं विकास से सम्बन्धित आधारभूत सांख्यिकी एवं राज्य की वास्तविक सामा‍जार्थिक स्थिति के परीक्षण हेतु आंकडों का संकलन, सर्वेक्षण, विश्लेषण, मूल्यांकन तथा उन्हें प्रकाशित कर सामाजिक स्तिथि एवं वास्तविक चित्रांकन प्रस्तुत करना ।
  • राज्य शासन के विभिन्न विभागों की सांख्यिकी गतिविधियों के मध्य समन्व्य करना ।
  • विविध विकास संकेतकों का संकलन ।
  • शासन, शोधार्थियों, योजनाविदों, एवं अनुसंधानकर्ताओं को आंकडों /सांख्यिकी का प्रदाय ।
  • जन्म-मृत्यु पंजीकरण अधिनियम 1969, के अनुसार, संचालक आर्थिक एवं सांख्यिकी को जन्म एवं मृत्यु् रजिस्ट्रेशन के लिए मुख्य रजिस्ट्रार पदांकित किया गया है ।
  • संचालनालय के प्रमुख कार्य :-

    1. सामान्य जानकारी :-

  • आर्थिक एवं सांख्यिकी संचालनालय द्वारा शासन जन कल्याणकारी योजनाओं के सविन्यास हेतु विकास कार्यक्रमों एवं प्रशासकीय उपयोग हेतु वांछनीय सांख्यिकी का संकलन एवं विश्लेष्ण कार्य सम्पादित किया जाता है, साथ ही राज्य की सामाजिक आर्थिक स्तिथि का आंकलन करने के अलावा राज्य शासन के विभिन्न विभागों द्वारा अपेक्षित सर्वेक्षण/मूल्यांकन अध्ययन का निष्पादन का दायित्व संचालनालय का है ।
  • संचालनालय अपने तकनीकी कार्यों के संपादन हेतु राष्ट्रीय नीति का पूर्णत: अनुसरण करता है । इसके अंतर्गत भारत सरकार के केन्द्रीय सांख्यिकी कार्यालय, राष्ट्रीय न्यादर्श सर्वेक्षण कार्यालय , भारत के महारजिस्ट्रार (जन्म-म्रत्यु पंजीयन) एवं नीति आयोग के अनुदेशों तथा निर्देशों के अनुरूप उपयोगी सांख्यिकी का निर्धारित प्रारूपों में संकलन, संधारण तथा विभिन्न प्रकाशनों का प्रकाशन किया जाता है । राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित अनुसूचियों द्वारा राज्य स्तर पर भी संचालनालय में सर्वेक्षण सम्पादित किया जाता है ।
  • केन्द्रीय सांख्यिकी कार्यालय के मार्गदर्शन में राज्य के सकल/ निवल राज्य घरेलू उत्पाद के अनुमान तैयार किये जातें हैं ।
  • संचालनालय की सांख्यिकी गतिविधिओं का मूल उददेश्य राष्ट्रीय नीतियों के परिपेक्ष्य में राज्य के सांख्यिकी तंत्र का सुदृढीकरण कर प्रशासन, योजनाविदों तथा शोधकर्ता को उपयोगी सांख्यिकी उपलब्ध कराना है ।
  • 2. प्रमुख गतिविधियाँ

  • राज्य की अर्थव्यवस्था संबंधी प्रकाशन:- राज्य की सामाजिक स्थिति तथा उसे प्रभावित करने वाले प्रमुख घटकों एवं नीतियों का वार्षिक विश्लेषणात्मक अध्य्यन छत्तीसगढ़ का आर्थिक सर्वेक्षण के रूप में प्रकाशित किया जाता है । प्रकाशन के अंतर्गत प्रमुख रूप से राज्यीय आय, कृषि- उत्पादन पशुपालन, मत्स्य विकास, वानिकी, जल-संसाधन, उर्जा, उद्योग, खनिज, परिवहन, श्रम एवं रोजगार, सहकारिता एवं बैंकिंग तथा सामाजिक क्षेत्र से सम्बन्धित विभागों की विकासात्मक गतिविधिओं के संबंध में अधतन जानकारी उपलब्ध करायी जाती है । प्रतिवर्ष विधानसभा के बजट सत्र में यह प्रकाशन माननीय सदस्यों को उपलब्ध कराया जाता है ।
  • राज्यीय आय (राज्य घरेलू उत्पाद के अनुमान):- राज्य की अर्थव्यवस्था में होने वाले परिवर्तनों का आंकलन करने के लिए राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) भारत सरकार, नईं दिल्ली के मार्गदर्शन में प्रतिवर्ष राज्य के सकल/निवल घरेलु उत्पाद के अनुमान एवं प्रति व्यक्ति आय (प्रचलित एवं स्थिर भावों) पर तैयार किया जाता है ।
  • बजट विश्लेष्ण: राज्य के वार्षिक बजट का आर्थिक एवं उद्देश्य्वार वर्गीकरण भी संचालनालय द्वारा किया जाता है , जो राज्य की प्राथमिकताओं का सूचक है । संचालनालय द्वारा केन्द्रीय सांख्यिकी कार्यालय, भारत सरकार के मार्गदर्शन के अनुसार राज्य शासन की वार्षिक बजट का वर्गीकरण कर केन्द्रीय सांख्यिकी कार्यालय एवं संचालनालय के राज्यीय आय संभाग को क्रमश: राष्ट्रीय आय एवं राज्यीय आय के अनुमान तैयार करने हेतु उपलब्ध कराया जाता है ।
  • राष्ट्रीय प्रतिदर्श सर्वेक्षण कार्य:-केंद्र एवं राज्य सरकार द्वारा जनता के हित में नीति निर्माण हेतु राष्ट्रीय प्रतिदर्श सर्वेक्षण कार्यालय के निर्देशानुसार प्रतिवर्ष निर्धारित विषय पर सर्वे कार्य का आयोजन किया जाता है । जिसके अंतर्गत घर-घर जाकर संबंधित विषयों पर प्राथमिक आंकडें एकत्र किये जातें हैं ।
  • जन्म मृत्यु पंजीयन कार्य/ नागरिक पंजीयन प्रणाली:-जन्म को बच्चे के पहले अधिकार के रूप में जाना जाता है । “जन्म-मृत्यु पंजीयन अधिनियम , 1969” एवं “जन्म-मृत्यु पंजीयन अधिनियम , 2023(संशोधित)” अंतर्गत भारत देश में घटित हर जन्म और मृत्यु घटना का पंजीकरण अनिवार्य है । छत्तीसगढ़ राज्य में जन्म-मृत्यु की घटना का पंजीकरण उक्त अधिनियमों के साथ-साथ “) छत्तीसगढ़ राज्य जन्म-मृत्यु पंजीकरण नियम, 2001” के अंतर्गत किया जाता है ।
    राज्य के समस्त ग्रामीण निकाय, समस्त नगरीय निकाय तथा समस्त शासकीय अस्पताल, केंद्र तथा राज्य के सार्वजनिक उपक्रम के अस्पताल अपने अधिकार क्षेत्र में जन्म-मृत्यु पंजीयन का कार्य करतें हैं । राज्य के 33 जिलों में समस्त रजिस्ट्रार(जन्म-मृत्यु) पंजीयन के पश्चात, सभी वैधानिक भाग को अपने पास सुरक्षित रखतें हैं ।
    राज्य के समस्त ग्रामीण निकाय, समस्त नगरीय निकाय तथा समस्त शासकीय अस्पताल, केंद्र तथा राज्य के सार्वजनिक उपक्रम के अस्पताल अपने अधिकार क्षेत्र में जन्म-मृत्यु पंजीयन का कार्य करतें हैं । राज्य के 33 जिलों में समस्त रजिस्ट्रार(जन्म-मृत्यु) पंजीयन के पश्चात, सभी वैधानिक भाग को अपने पास सुरक्षित रखतें हैं ।
  • उपभोक्ता मूल्य सूचकांक :-उपभोक्ता मूल्य सूचकांक के अंतिम औद्योगिक श्रमिको के परिवारिक आय-व्ययों का पायलेट सर्वेक्षण भारत सरकार श्रम एवं रोजगार मंत्रालय श्रम ब्यूरो-शिमला के द्वारा सम्पन्न कराया जा रहा है। वर्ष 2014-15 से छत्तीसगढ राज्य के तीन जिलों का चयन कर लिया गया है। चयनित जिलों के अंतिम बाजार निम्नानुसार हैः-
  • क्रमांक जिला बाजार
    1 रायपुर I- गोलबाजार
    II- बीरगांव
    2 कोरबा I-  निहारिका
    II- कोसाबाड़ी
    III- ट्रांसपोर्ट नगर
    3 दुर्ग-भिलाई I-  आकाशगंगा
    II-  केम्प-2